भारतीय डॉक्टरों का एक और कारनामा, पांच माह की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट
सेहतराग टीम
दिल्ली के डॉक्टरों ने लिवर फेलियर से जूझ रही पश्चिम बंगाल की पांच माह की नन्हीं बच्ची की 10 घंटे तक जटिल सर्जरी कर लिवर ट्रांसप्लांट के जरिये उसे नया जीवनदान दिया। बच्ची को यह अंग उसकी मां ने दिया था।
दक्षिण दिल्ली के अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया कि यह देश में अभी तक के सबसे छोटे बच्चे का लिवर प्रतिरोपण है।
बच्ची एरियाना के पिता अरिजित डे(36) ने बताया कि फरवरी में उनकी बच्ची को भीषण जॉन्डिस हो गया था और कुछ दिन पहले उन्हें पता चला कि उसके बिलिरुबीन का स्तर काफी बढ़ा हुआ है।
डे ने बताया, ‘पहले हम उसे बच्चों के डॉक्टर के पास ले गए। इसके बाद दो मार्च को उसे कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोलकाता में जो चिकित्सक उसे देख रहे थे उन्होंने हार मान ली और कहा कि बच्ची पांच दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगी।’ उन्होंने बताया कि उनका परिवार इलाज के लिए बच्ची को ले कर मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली आ गया।
यहां दक्षिणी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में लिवर एंड बायलरी साइंसेज के डॉ. सुभाष गुप्ता ने उसका इलाज किया। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि पहले अरिजित बच्ची को लिवर डोनेट करने वाला था लेकिन कुछ जटिलताओं के चलते मां ने लिवर डोनेट किया।
उन्होंने बताया कि 10 घंटे की इस सर्जरी में अनेक चुनौतियां थीं। पहला तो यह एक्यूट लिवर फेलियर का मामला था तो हमारे पास सर्जरी की योजना बनाने का वक्त नहीं था, जैसे हम आम मामलों में करते हैं। इसके अलावा बच्ची पांच माह की थी और अंग दान करने वाला 30 वर्ष का था इसलिए काम कठिन था।
हालांकि बच्ची का प्रतिरोपण सफल रहा। गुप्ता ने बताया कि बच्ची की कम से कम एक वर्ष तक दवाइयां चलेंगी और उसकी सेहत पर नजर रखी जाएगी।
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